अंशु मालवीय की कविता - हत्यारे बहुत मार्मिक होते हैं

फ्लड लाइट लगाकर
माँओं पर तोड़े गए बलात्कार के
अपराध बोध में
वे माँ से बेहद प्यार करते हैं

और इससे ,ज़्यादा वे प्यार करते हैं
भारत माँ से

बस्तियाँ जलाकर लौटते हुए
विव्हल किलकारियों में
जब वे "भारत माता की जय " बोलते हैं
तो श्रद्धा से
मक़तूलों की घिघ्घियाँ बँध जाती हैं

हत्यारे बहुत पारिवारिक होते हैं
वे अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते हैं
इसलिए
हर बिस्तर पर
सहवास के चरम क्षणों में
वे अपनी पत्नी को याद कर फफक पड़ते हैं

वे जानवरों के बेहद करीब होते हैं
सिंह को पालतू बनाते हैं और
उनकी दया के कुछ छीटें
कुत्ते के पिल्लों पर भी पहुँच जाते हैं

खंज़रों को साफ करते
या आस्तीन से ख़ून के धब्बे मिटाते वक़्त
वे पुराने फिल्मी गाने गुनगुनाते
या कविताएँ लिखते हैं

उन्होंने हत्या के कलात्मक विकल्प तैयार किये हैं
जी ! यक़ीन मानिये
इतना बड़ा है उनकी करुणा का दायरा
कि कभी --कभी वे हत्या भी नहीं करते
अपनी पैनी आँखों में सनातन सम्मोहन साधकर
वे हमें ख़ुदकुशी के फ़ायदे समझाते हैं
और हम ......
ख़ुद अपनी गर्दन उतार कर
उनके क़दमों में रख देते हैं

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